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कड़बक पाठ का सारांश

कड़बक पाठ लेखक परिचय

कड़बक पाठ के रचनाकार – मलिक मुहम्मद जायसी

जायसी निर्गुण भक्ति धारा के प्रेममार्गी शाखा के प्रमुख कवि है ।

जन्म- जायसी का जन्म सन 1492 ई० के आसपास माना जाता है ।

निवास स्थान- वे उत्तर प्रदेश के जायस नामक स्थान के रहनेवाले थे ।

पिता- उनके पिता का नाम मलिक राजे अशरफ़ बताया जाता है

जायसी कुरुप व काने थे । उन्हें बाएँ कान से भी उन्हें कम सुनाई पड़ता था

निधन- जायसी की मृत्यु 1548 के करीब हुई

मलिक मुहम्मद जायसी की रचनाएँ

  • उनकी 21 रचनाओं के उल्लेख मिलते हैं जिसमें पद्मावत , अखरावट , आख़िरी कलाम , कहरनामा , चित्ररेखा , कान्हावत आदि प्रमुख हैं ।
  • पद्मावत, अखरावट, सखरावत, चंपावत, इतरावत, मटकावत, चित्रावत, सुर्वानामा, मोराईनामा, मुकहरानामा, मुखरानामा, पोस्तीनामा, होलीनामा, आखिरी कलाम, बारहमासा, धनावत, सोरठ, जपजी, मैनावत, मेखरावटनामा, कहारनामा, स्फुट कवितायें, लहतावत, सकरानामा, मसला या मसलानामा

कड़बक पाठ का सारांश लिखिए

एक आँख का होने पर भी मुहम्मद में काव्य गुन है । जिसने वह काव्य सुना वही मोहित हो गया । विधाता ने चन्द्रमा के समान उसे संसार में बना कर कलंकी कर दिया पर वह प्रकाश ही करता है । एक आँख में ही उसे संसार सूझता है । नक्षत्रों के मध्य में शुक्र की तरह वह उदित है । जब तक आम में नुकीली डाभ नहीं निकलती तब तक उसमें सुगन्धि नहीं बसती । विधि ने समुद्र के पानी में खारेपन का दोष किया तभी तो वह ऐसा असूझ और अपार हुआ । जब तक घरिया में मैल नहीं पड़ता तब तक कच्ची धातु में कंचन की चमक नहीं आती । कवि एक नेत्र दर्पण के समान है और उसका भाव निर्मल है । स्वयं वह कुरूप है पर सब रूपवान उनके पाँव पकड़कर चाव से उसका मुँह देखते हैं । मुहम्मद कवि ने यह काव्य रचकर सुनाया । जिसने सुना उसे प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ । इस प्रेम कथा को कवि ने रक्त की लेई लगाकर जोड़ा है । इसकी गाढ़ी प्रीति को आँसुओं से भिंगोया है और मन में यह समझकर ऐसा कवित्व रचा है कि शायद जगत में यही निशानी बची रह जाय । कहाँ है वह रत्नसेन जो ऐसा राजा था , कहाँ है वह सुग्गा , जो ऐसी बुद्धि लेकर जन्मा था ? कहाँ है वह अलाउद्दीन सुलतान कहाँ है ? कहाँ है वह सुन्दरी रानी पद्मावती ? यहाँ अब कोई नहीं है बल्कि यश के रूप में कहानी रह गई है । फूल झड़कर नष्ट हो जाते हैं पर उसकी खुशबू रह जाती है । कवि ये कहना चाहता है कि एक दिन वह भी नहीं रहेगें पर कीर्ति सुगंध की तरह पीछे रह जाएगी । कवि कहते है इस संसार मे यश न तो किसी ने बेचा है और न ही किसी ने खरीदा है । कवि कहते है कि जो मेरे कलेजे के खून से रचित कहानी को पढ़ेगा वह हमे दो शब्दों मे याद रखेगा |

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