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संपूर्ण क्रांति पाठ का सारांश

संपूर्ण क्रांति पाठ लेखक परिचय

  • लेखक – जयप्रकाश नारायण
  • भाषण – 5 जून 1974,पटना,गांधी मैदान
  • जन्म – 11 अक्टूबर 1902
  • निधन – 8 अक्टूबर 1979
  • जन्म – सिताब दियारा गांव
  • जयप्रकाश नारायण के माता – फूलरानी
  • जयप्रकाश नारायण के पिता – हरसू दयाल
  • शिक्षा आरंभिक घर पर,आगे की शिक्षा के लिए पटना कॉलेजिएट गए,फिर 1922 में शिक्षा प्राप्ति के लिए अमेरिका गए। मां के अस्वस्थता के कारण पी.एच.डी. नहीं कर पाए।
  • मूल निवास- गुलेर नामक ग्राम,जिला कांगड़ा,हिमाचल प्रदेश

जयप्रकाश नारायण की रचनाएँ

  • एक चिड़ा और एक चिड़ी की कहानी 
  • विफलता : शोध की मंज़िलें 
  • संपूर्ण क्रांति

संपूर्ण क्रांति पाठ का सारांश लिखिए

प्रस्तुत पाठ में लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा दिये गए ऐतिहासिक भाषण का एक अंग है जिसे उन्होंने 5 जून 1974 को पटना के गांधी मैदान में दिया था। संपूर्ण भारत स्वतंत्र पुस्तिका के रूप में जनमुक्ति पटना से प्रकाशित है। भाषण को सुनने के लिए लाखों की संख्या में लोग पूरे प्रदेश से आए थे जिसमें युवाओं का बोलबाला था। नारायण जी कहते हैं कि अगर दिनकर जी और रामवृक्ष बेनीपुरी जी होते तो उनकी कविता भारत के नव निर्माण के लिए क्रांति का कार्य करती लेकिन वह आज हमारे बीच नहीं है। जयप्रकाश नारायण जी कहते हैं कि यह जिम्मेवारी मैंने माँग के नहीं लिया मुझे यह जिम्मेदारी युवा पीढ़ी द्वारा सौंपी गई है। वह कहते हैं कि मैं नाम का नेता नहीं बनूंगा मैं सब की बात सुनूंगा लेकिन अंतिम फैसला मेरा होगा। लेखक ने अपने परिवार की गरीबी के बावजूद अमेरिका में अपने बलबूते पर पढ़ाई की तथा वापस आकर कांग्रेस में शामिल हुए।

जयप्रकाश बाबू से मिलने बहुत सारे नेता आए और सब ने उन्हें एकतरफ लोकतंत्र के शिक्षा दी तो दूसरी तरफ लोगों के जुलूस को रोका गया। लेखक कहते हैं कि ऐसे लोगों को शर्म नहीं आती जो एक तरफ लोकतंत्र की बातें करते हैं तो दूसरी तरफ लोकतंत्र को अपने पैरों से कुचलते हैं। लेखक के कुछ मित्र उनका और इंदिरा जी का मेल मिलाप करवाना चाहते थे। लेखक कहते हैं कि मेरा इंदिरा जी से व्यक्तिगत झगड़ा नहीं है बल्कि उनकी गलत नीतियां से मेरा झगड़ा है। लेखक ने कई बार बापू और नेहरु जी की भी आलोचना की लेखक कहते हैं कि आज राजनीति में भ्रष्टाचार बढ़ा है जिसका प्रमुख कारण चुनावों की चर्चा है। आज के लोकतंत्र में जनता को इतना ही अधिकार है कि वह चुनाव करें। लोकतंत्र मे चुनाव के बाद अपनी ही प्रतिनिधियों पर जनता का कोई अंकुश नहीं होता है। लेखक के अनुसार अन्य देशों में प्रेस तथा पत्रिका प्रतिनिधियों पर अंकुश लगाती है,लेकिन हमारे देश में इसका बहुत अभाव है जयप्रकाश नारायण जी का यह भाषण बाकई एक शानदार भाषण है।

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